शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

ढलते सूरज के साथ
पथरीले घाटों ने
हर हर महादेव का
उदघोष किया
जीवन्तता का अहनद
नाद दिया
आँचल में समेटे
अनेक छोटे दिनकरो को
एक नूतन श्रृष्टि का
आगाज किया

स्वप्निल
अद्भुत
अवर्णनिय
शब्दहीन वाणी
मौन मूर्तिवत आकांक्षाये
सुसज्जित देख
अर्धचन्द्राकार कंठ
भागीरथी का
प्रसंग देव दीपवाली का

धन्य हे भारत
धन्य तेरी अक्षुण
परम्परा और संस्कृति का
उपवन
हे आर्यभूमि
तुझको शत शत
नमन

गुरुवार, 15 नवंबर 2012

ब्रेनवाश

ब्रेनवाश

बस के लिए लाइन में
खड़े खड़े इधर कुछ दिनों से
उसे मैं उसके दुधमुंहे बच्चे के साथ
फटी साडी में किसी तरह
अपने युवा तन को समेटे
सड़क के उस पार
बरगद के पेड़ के नीचे
हाथ से बने मिटटी के
कुछ देहाती खिलौने के साथ
दिये और कुल्हड़
बेचते देखता था
उसके अतीत से
अज्न्जन मगर पता नहीं क्यों
उसके भविष्य के बारे में भी
अक्सर मै सोचता था

कभी कभी उसके पति के साथ
उससे होती बहस पर भी
मेरी नजर पड़ जाती थी
दोनों के बीच बाते बढ़ते बढ़ते
मर पीट पर उतर जाती थी
बड़ी मुश्किल से बिक्री से प्राप्त
सारे पैसे को जबरन
छीन वह चम्पत हो जाता
बच्चे के साथ उसे
बिलखते छोड़ जाता
सिलसिला यह लगभग
अनवरत था
आज एकाएक वह मुझे
खामोश नजर आ रही थी
बच्चे पर नजर पड़ी तो
उसमे भी कोई हलचल
नहीं दीख रही थी
थक कर सो रहा होगा
मई सोचता रहा
बस के आने की प्रतीक्षा
करता रहा
तभी लाइन में आगे खड़े
व्यक्ति से पता चला
जेड की अंगड़ाई को शायद
वह नवजात सही नहीं पाया था
आज सुबह ही भगवान को
प्यारा हो गया था
तभी अचानक उसका पति
गिरते भाहराते नशे में धुत
आ गया
उससे पैसे की अपनी मांग को
एक बार पुनः दोहरा गया
उसकी पथरीली बेबस और
लाचार आँखों ने आंसुओं का
साथ छोड़ दिया था
नैन के कोरो से
आंसुओ ने पथ
अपन बना लिया था
संग्याशून्य उसने बच्चे की और
हाथ से पैसे के अभाव में
उसके मर जाने का ईशारा किया
सामान न बिक पाने के कारन
उसे पैसा देने में अपनी
असमर्थता जताया
बदले में एक लत के साथ
गलियों के सौगात पाया

बच्चे के  अवसान से
पीड़ित उसका थका और
कमजोर शरीर
कुल्हड़ और दिया पर
आशियाना बनाते हुए
कटे पेड़ की तरह भहरा गया
इस दिशा में तमाम चल रहे
प्रयासे के उपरांत आज भी
एक लाचार ट्रडिशनल
भारतीय नारी के
इतिहास को दोहरा गया

पान का पीक उसके ऊपर
थूकते वह बोला
साली कल शाम से
धंधा कर रही है
उसमे से मैंने कुछ मांग लिया
तो पंगा और नाटक
कर रही है
मुझे उसके पान के
रक्त सी पीक में
उस बच्चे क लहूलुहान
अक्स दिखा
मै विचलित हो गया था
निसंदेह आगामी एक सप्ताह के लिए
मेरा ब्रेनवाश हो गया था
निर्मेष