विराम देवे
अपनी उद्दात उत्तेजनाओं को
मन को बनाएँ धैर्यपूरित शान्त
करने दो इस युगपुरुष को
धीरता से अपना काम
आओ उन्हें दे
एक ऐसा कार्मिक मोहक
विद्वेषरहित तुष्टीकरणविहीन
वातावरण
सफल हो जिससे
वह कर सके
हमारी आकांछाओ और
अपने उद्देश्यों का वरण
रखी जा सके
एक नूतन सबल सक्षम सम्पन्न
विश्वगुरु सर्वप्रभुता संपन्न
राष्ट्र की नीव
कराहती सुप्त हो चुकी भारतीयता
पुनः हो सके सजीव
बेशक साथ देता है
कौन यहाँ जीवनभर
लाश को भी ले जाते
मरघट तक
बदलते है हम भी कंधे
रास्तेभर
अस्तु
आओ समय रहते
समग्र लाभ उठा ले हम
इस कालजयी युगपुरुष की
विराट सोच का
साकार हो सके स्वप्न
सर्वप्रभुतासम्पन्न राष्ट्र के
उत्थान का
बहुत हो चुका देश को
धर्म सम्प्रदाय पन्थ और
जाति के आधार पर
तुष्टिकरण की राजनीति
जिससे सदा ही बढ़ी है
अन्याय असमानता
और अनीति
आओ तत्पर हो
इन खोखले तिक्त
विद्वेषपूर्ण आदर्शो और
विचारों की देने को आहुति
स्वागत करें
इस आर्यावर्त के सम्पूर्ण आवाम को
समग्र राष्ट्र और राष्ट्रीयता
के परिप्रेक्ष्य में देखने
की सोच का
समग्र देश को समरसता
समदर्शिता से
आत्मसात करने जैसे
उद्दात विचारों का
प्रथमदृष्टया
यह लग सकता है असंभव
या एक कुचक्र की लग
सकती है आहट
पर चिंतित न हो
जल्दी ही दूर होगी
आपकी घबराहट
नकली घी के लगातार सेवन से
आपने जहाँ बरबाद की है
अपनी सेहत
वही भूल चुके है
असली घी की नेमत
अतः आओ
समग्र भारत के अभ्युदय का
ले इस युगपुरुष के नेतृत्वा में
मोदी युग का एक संकल्प
क्योकि इसके सिवा और है
कोई नहीं सार्थक
विकल्प
निश्चय ही प्रतीत है
सफलता समरसता और
विकासयुक्त
अच्छे दिन आनेवाले है
छल छद्म पांखण्ड अविश्वास
अन्याय अनीति असमानता
विप्लव और विफलता
आदि के दिन
जानेवाले है
डा ० रमेश कुमार निर्मेष