रेलवे स्टेशन पर
टिकट के लिए
लाइन में खड़ा था
संभवतः सर्वर ख़राब था
इसलिए टिकट वितरण कुछ देर
के लिए बाधित हो गया था
निकट पास में एक
दस वर्षीय बालक एक फटा
बैग लिए निरीह नजरों से
मुझे देख रहा था
लगा शायद भीख मांगने
के लिए खड़ा था
मैंने जेब से कुछ सिक्के
निकाल कर उसे देना चाहा
उसने तत्काल लेने से
इंकार कर दिया
मुझे झुझुलावा दिया
बोला बाबू आपके जूते
गंदे हो गए है
इसे पालिश करवा लीजिये
बदले में मेरी मजदूरी के
दो रुपये ही मुझको दे दीजिये
तभी सर्वर ठीक
होने का सिग्नल आया
टिकट बाबू ने आवाज लगाया
मैंने टिकट लेते हुए
उस बच्चे से कहा बेटा
यह दो रुपये रख लो
मेरी ट्रेन आ चुकी है
जूते को बिना पालिश के
ही रहने दो
वरना ट्रेन छूट जाएगी
तुम्हारी तुम्हारी खुद्दारी हमें
बहुत महँगी पड़ जायेगी
वह मुझे छोड़ लाइन में
पीछे किसी दूसरे के पास चला गया
मै झुन्झुलाहट और आश्चर्य से
उसे देखता रहा
किसी तरह ट्रेन पर चढ़
अपने गंतव्य को चल दिया
सोचता रहा उसके बारे में
कहाँ तो एक से एक
चोर उचक्के जैसे लडको से
सदा यहाँ पाले पड़ते रहते है
जो खड़े ही खड़े हमें और आपको
बेच देने का माद्दा रखते है
ऐसे में यह लड़का कैसे
अपने स्तित्व को बचाये पड़ा है
लगा कही गलती से तो
इस सदी में नहीं जी रहा है
निकट अतीत तक मन
जहाँ अपनी संस्कृति में तेजी से
हो रहे क्षरण और संक्रमण
से व्यथित था
वही अब उसके संरक्षण कि दिशा में
इस छोटे से ही प्रयास को देख
मन एक सुखद अहसास से
गदगद हो रहा था
वस्तुतः सच है कि
ऐसे प्रयास इस दिशा में
पर्याप्त नहीं है
लेकिन यह भी सच है कि
ऐसी सोच आज भी जिन्दा है
यही कम नहीं है
वस्तुतः सच है कि
जवाब देंहटाएंऐसे प्रयास इस दिशा में
पर्याप्त नहीं है
लेकिन यह भी सच है कि
ऐसी सोच आज भी जिन्दा है
यही कम नहीं है
इसी सोच पर आज भी दुनिया टिकी है ... प्रेरणादायक अच्छी रचना
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 03- 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
ऐसी सोच आज भी जिन्दा है ...
जवाब देंहटाएंयह भी कम नहीं ...
हजार निराशाओं के बीच ऐसी एक आशा भी उम्मीद जगाती है ...
यह भी सच है कि
जवाब देंहटाएंऐसी सोच आज भी जिन्दा है
यही कम नहीं है।
बस,ऐसा ही सुंदर लिखते जाइए। आनंद आया,हमारी भारतीय संस्कृति के उम्दा उदाहरण को पढ़कर।
शुक्रिया।
मार्कण्ड दवे।
http://mktvfilms.blogspot.com
वस्तुतः सच है कि
जवाब देंहटाएंऐसे प्रयास इस दिशा में
पर्याप्त नहीं है
लेकिन यह भी सच है कि
ऐसी सोच आज भी जिन्दा है
यही कम नहीं है...
बहुत सुन्दर..