रीतेश
अपनी फ्लाइट
आज कैंसिल करा दो
मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही
हो सके तो कुछ और दिन
साथ रह लो
कहते खासते खासते
मिश्राजी की पसली चल रही थी
बिजली नहीं होने से
मिश्रीईन पास बैठी
पंखा हिला रही थी
शुन्य में काफी
देर तक देखते
अनायास कुछ सोचते
हिम्मत जुटा कर रीतेश बोल
पापा कैसे बताये
कि किस तरह हमने
पत्नी और बच्चे के साथ
पंद्रह दिन यहाँ बिताया
पूरे इस प्रवास ने हमें
कितना सताया
कहा एक ओर अमेरका का
विलासित जीवन
कहाँ यह गाँव का
वीरान मधुबन
फिर भी किसी तरह मै
यहाँ एडजस्ट कर रहा था
आपकी सेवा कर अपना फर्ज
पूरा कर रहा था
मगर मेरे बॉस ने मेरी छुट्टी
आगे मंजूर नहीं की है
हमें तुरंत वापस आने की
वार्निग दी है
अतः मुझे आज ही
जाना पड़ेगा
अपने भविष्य हेतु
यह कदम उठाना ही प होगा
बाहर पूरा परिवार
ऑटो में बैठ चूका था
वह भी चलने को लगभग तैयार था
माँ यह लो कुछ रुपये रख लेना
पापा यदि नहि रहे तो
तिख्ती और कफ़न का
इंतजाम कर लेना
कहते चौकी पर जैसे पैसा रखा
उसे रोकते हुए मिश्राजी ने कहा
बचवा ई बनारस है
यहाँ लावारिसो को भी
कफ़न मिल जाता है
दिन हिनो का भी लाश
शान से
जल जाता है
अमेरका नहीं कि जहाँ
व्यक्ति तुम्हारी तरह इतना
प्रोफेशनल हो जाता है
कि अपने बाप की चिता को
आग नहीं दे पाता है
नजदीकी रिश्ते को भी
पैसे से तौलता है
मानवीय रिश्ते भी जहाँ
इस कदर बिकते है
कि रक्त पानी से सस्ते
लगते है
लो इस पैसे को
अपने पास रख लेना
मेरी चिंता छोड़ बेटा
अपने लिए एडवांस में
एक कफ़न खरीद लेना
तुमने तो कम से कम इतना
मेरे बारे में सोचा
तुम्हारे बेटे बेशक
इसे खरीदने में करेंगे लोचा
तुन्हारे लिए उन्हें कफ़न
खरीदने की भी फुरसत
नहीं होगी
आखिर तो तुम्हारा बाप हू
हमसे ज्यादा बेटा
तुम्हारी चिंता
किसे होगी
निर्मेश
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