सोमवार, 13 जनवरी 2014

पप्पू क माई


पिंटू का भवा
अबकी तू सब जाड़ा में
मकरसंक्रांति पर
घर जरूर आवे का रहा
तोहार सबकर कमरा अउर
सटा घर वर सब हम ठीक
करा दिया रहा
मोबाइल पर चाची
अपने पोते से
बतिया रही थी
उनकी आँखे आनेवाले
उत्सव के बारे में सोचकर
चमक रही थी

हाँ यह उनके लिए
उत्सव ही तो था
उनका बेटा पप्पू सपरिवार
इस  जाड़े की छुट्टी में
पंद्रह दिन के लिए
घर आनेवाला था
बहुत दिनों के उपरांत
उनके घर में रौनक
आनेवाला था

अपने पप्पू को कितनी
हसरत से पल पोस
पढ़ाय लिखाय कर आज
इस मुकाम तक पहुचाया था
पुणे के नामचीन कंपनी में
साफ्टवेयर  इंजीनियर 
बनवाया था
लाँखों में एक लड़की छाट
उसका विवाह करवाय
समय से पोते का
सुख पाया था

पर आज पाँच वर्ष
हो गए उन सब को देखे
पिंटू भी दादी से
फोन पर ही बात करते करते
पाँच वर्ष का हो गया
घर गृहस्थी से चाची को
निकलने का मौका ही नहीं मिला
अब तो पिंटू बिलकुल
पप्पू की  तरह ही लग रहा होगा
पोते के रूप में पप्पू के
बचपन का सुख पुनः पाने को
बेताब चाची में एक नवीन
ऊर्जा का संचार होता
प्रतीत हो रहा था

थोड़ी देर में
फोन की घंटी पुनः बजी
चाची मोबाइल पर
तुरंत लपक पड़ी

 
अम्मा ईक्षा  
बड़ा रहे कि
तोहर सबकर दर्शन करी
संक्रांति नहाय पिंटू का भी
घर गाव से जोड़ लिही
पर कंपनी का कुछ बहुते
अर्जेंट काम है आई गवा
एही पाछे हम सब अबही
आवे से रहा

सर यह रहा आप लोगो का
सिंगापुर का पैकेज
की आवाज सहसा मोबाइल से
चाची के कान में पड़ा
पूछा भइया का भवा  के हौ
उधर से काँपती आवाज आयी
थोड़ी देर में फिर बात करब माई
कहते दोनों ओर से
मोबाइल धराइल

चाचा ने पूछा
का बात है भाग्यवान
पता नाही पप्पू कहत रहे कि
अबही कउनो ओका बड़ा
काम आई गवा है
यही पाछे बाद मे
आवे का कहा है
का करे भाई
एतना बड़ा अफसर
ओतने जिम्मेदरियों होई
पर पता नाही कइसन
फोनवा के बगले से
केहू आवाज आयल
सिंगापुर पैकेज
साहब रहल

पैकेज का होत है
पप्पू पापा
कौनो बचवा के मुसीबत
नाही बा
चला छोड़ा सब तोहरे
समझ में कभौ ना आयी
आखिर    तू हउ
पप्पू माई

निर्मेष

 





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