निरा स्वप्न आजादी थी
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निरा स्वप्न आजादी थी
साकार किया उसको जिसने
उत्सर्ग प्राण को किया सहर्ष
आओ याद करे उनको
कुछ तो ज्ञात शहीद हुए है
अज्ञातों की फ़ौज विशाल
नमन सभी को शत शत मेरा
काम कर गए वो कमाल
सार्थक तब बलिदान है उनका
औचित्य त्याग का सिद्ध करे जब
हो शीर्ष विराजित आर्यावर्त
उनकी सोच के ऊपर जब
आसान नामवर रिपु से लड़ना
बेनाम शत्रु सबसे भारी है
पहचान एक का बहुत सरल है
भरी बेनामो से दुनिया सारी है
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नमन आज उन माताओं को
हुई गोद है जिनकी सूनी
रिपु से लड़ते जो हुए शहीद
कर गए जनको की साख वो दूनी
अविरल चिंतन की अविरल धार
अविरल अतीत मेरा आधार
परोपकार पनपे हिय अविरल
हो अविरलता जन जन साकार
नमन नमन हे आर्यभूमि
नमन राष्ट्रध्वज को पावन
नमन महापुरषों को मेरा
बरसे आशीष बने सावन
निर्मेष
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गुरुवार, 14 अगस्त 2014
निरा स्वप्न आजादी थी
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