प्रचंड पुरवैया
से
नाव भयंकर
हिचकोले
ले रहा था
नाव में क्षमता
से ज्यादा
बैठे यात्रियों
का कलेजा
रह रह कर
मुँह को
आ रहा था
सभी शान्त
मन ही मन
ईश्वर से
इस आकस्मिक
आपदा से
मुक्ति हेतु
प्रार्थना कर
रहे थे
एक दूसरे
को
असफल दिलासा
देने का
प्रयास कर
रहे थे
तभी नाविक
ने कहा कि
यदि हममें
में से कोई
एक
नदी में कूद
जाये
तो बैलेंस
ठीक होकर
हम सभी की
जान
बच जय
कोई इंजीनियर
तो को डॉक्टर
कोई वकील तो
कोई ओवरसियर
कोई उद्योगपति
तो कोई नेता
कोई खिलाड़ी
तो कोई अभिनेता
सबने समाज के
प्रति अपने
कर्तव्यों की
दुहाई देकर
किनारा कर
लिया
तभी कोने में
बैठे एक
आम आदमी पर
सबका
ध्यान गया
एकस्वर में
सबने कहा कि
इस पुनीत
बलिदान को
अब आपही अंजाम
दीजिये
हम सबकी इस
समाज को
बहुत आवश्यकता
है
आप ही सबकी
जान
बचा लीजिये
वह बोला
वाह भई
वाह
जब हमी नहीं
रहेंगे तो
किसके प्रति
आप अपने
कर्तव्यों को
पूरा करेंगे
दुहाई दे रहे
दायित्वों को
किसके लिए निभाएंगे
यह कह कर
उसने भी
कूदने से इंकार
कर दिया
पूरे नाव में
निराशा के
साथ
अवश्यमेव मौत
का
सन्नाटा छा
गया
तभी सबकी नजरें
नाव के दूसरे
कोने में बैठे
एक संभ्रांत
से दीखते
नेता पर गयी
उनको खड़ा होते
देख
सबके आँखों
में एक
उम्मीद की
किरण
जग गयी
उनके संभावित
बलिदान
के बारे में
सोच कर
सबकी आँखे भर
गयी
नेताजी खड़े
तो हो गए
पर शीघ्र
ही अपनी ओजस्वी
शैली में अपनी
असल
औकात पर आ
गए
स्वतंत्रता संग्राम
से लगायत
कारगिल विजय
तक के
शहीदों का
हवाला दिया
सबका देश के
नाम पर
बलिदान होने
का पुनः
आह्वाहन किया
स्वयं भी धीरे
धीरे
सदरी उतारकर
कुर्ता उतारने
लगा
यह सब देख
कर
आम आदमी का
मन
एक बार फिर
पसीज चला
बेचारे का
गर्म खून
तुरन्त उबाल
के साथ
ताव खा
गया
बिना सोचे समझे
सवस्त्र ही
नदी में कूद
गया
अनजाने में
देश के उन
तथाकथित कर्णधारों
को
देश सेवा हेतु
छोड़ गया
निर्मेष
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