अभी कल
शाम को ही
अस्पताल से निराश
लौटी शारदा काकी के पास
मैं काफी देर तक
बैठा था
उनके चेहरे के भावों को
पढ़ने का प्रयास
कर रहा था
पुनः आज सुबह से ही
कई बार वो हमको
बुला चुकी थी
बार बार हमसे सुई
लगवाने को कह रही थी
काकी के पास बैठा
उनके क्रमशः
ठन्डे हो रहे बदन
और मंद पड़ती
नाड़ी को देख
मुझे आज उनके इस
नश्वर देह को छोड़ने का
पूर्वाभास हो रहा था
इसीलिए मै चाह कर भी
वहाँ से हिल नहीं
पा रहा था
उनसे बातचीत
लगातार चल रही थी
पास में उनकी बहू और
बेटी बैठी थी
मैं जैसे ही पुनः एकबार
उठकर चलना चाहा
काकी ने मेरा हाथ
अपनी ओर जोर से खीच कर
बैठने का ईशारा किया
बैठने पर काकी ने
मेरे हाथ को जोर से
अपनी ओर भींच लिया
मुझे जीभर के देखा
आँखों ही आँखों में
मुझसे अपने परिवार के लिए
कुछ कमिटमेंट लिया
हमसे आस्वस्त हो
उनकी आँखे एकाएक
धीरे धीरे बंद होने लगी थी
शायद उनकी आत्मा की
अनंत यात्रा
प्रारम्भ होने लगी थी
मैं चिल्लाया
पास में बैठी बेटी बहू व
पौत्रों से
अपनी संस्कृति के अनुसार
तुलसी गंगाजल
पिलवाया
राजू
उनका एकमात्र पुत्र
जिस पर हमेशा
वो जान देती थी
उनके कितने ही
गुनाहों को माफ़ कर
वह अक्सर ही खून का
घूँट पीती थी
जिससे इस दिन के लिए
उन्होंने न जाने कितने ही
उम्मीदो को पाला था
कम से कम आज
अपने सामने होने का
आस पाला था
पर वह आज
सुबह से ही नशे में टुन्न
छत पर पड़ा था
लगता था काकी ने
ऊब कर आज उससे
दूरी बनाये रखने का
फैसला किया था
इसीलिए आज उसे
एक बार भी याद
नहीं किया था
कुछ खाने की बात पर
खुद को भी पिलाने की
बात कहा था
मेरे आवाज देने पर
राजू एक अवांछित स्थिति में
नीचे आया
जैसे ही चम्मच को उसने
काकी के मुँह से सटाया
इसके पूर्व ही काकी
इस दुनिया को छोड़ चली थी
राजू के दिल में
जिंदगी भर के लिए
इक टीस छोड़ गयी थी
बहू व बेटी के मध्य
नेह की श्रेष्ठता के
अनुत्तरित प्रश्न के साथ
छोड़ गयी थी एक सवाल
कि रक्तजनित रिश्तों के ऊपर
लोकजनित रिश्तों की
मान्यता पर क्यों
होता है बवाल
निर्मेष
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