खामोश सुखिया
अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी थी
रक्त की एक बोतल उसे चढ़ चुकी थी
एक और अभी बाकी थी
सोच रही थी
किसने दिया होगा उसे रक्त
उसका मरद तो हो चुका
पहले ही अशक्त
बच्चे कभी झाकने नहीं आते
कभी आते तो करके हज़ार
बहाने वे लौट जाते
छोटू ने हिम्मत की थी
तभी उसके कानो में
बहू की आवाज पड़ी थी
अरे छोड़ा बूढ़ा के ऊ त
मरले दाखिल हई
अभी तोहे बहुत कम करे का है
चला हिला एहन से बहाना बनाय के
मरि जैहन त अभी
क्रिया करम भी है करे के
वह बोल तो नहीं पर
सुन तो थी ही सकती
ऑपरेशन के बाद अचेत
अपलक छत को निहारती
अतीत में चली गयी
डॉक्टर का चेहरा उसे
जाना पहचाना लग रहा था
दिमाग पर जोर देने पर उसे
कुछ धुधला सा याद आया
लक्षमण का चेहरा जेहन में भाया
जिसे जिसकी माँ
बचपन में ही छोड़
पड़ोसन संग इश्क लड़ाई
और भाग गयी थी
पड़ोसन के नाते जिसे उसने
अपना दूध पिला कर बड़ा की थी
फिर उसके बापू के तबादले ने
सबकुछ भुलवा दिया था
कुछ दिनों में ही सब अतीत का
हिस्सा बन गया था
हाँ हाँ ई त वही
लाछमनावा लागत है
पर इहा त सब एका
डॉक्टर एल के सिंह कहत है
छोड़ा कुछो होय हमै का करे का है
दिमाग पर ज्यादा जोर
डाले का हमै का पड़ा है
सोचते सोचते न जाने वह
कब सो गयी
भोर में जगी तो देखा
सुबह हो गयी
डॉक्टर बाबु राउंड पर आये थे
उसके सर पर हाथ रख सहला रहे थे
आज उसे तबियत कल से
बहुत ठीक लग रही थी
सुखिया अम्मा कैसी हो सुन
डॉक्टर के मुख से अपना नाम
वह दंग रह गयी थी
बहुतै दूध पिलवा है हमका
अब हमरी बारी आवा है
एक बोतल खून हम दै चुके
एक अउर देना बाकी है
हम तोहरा बदे आपन
सब खून दै सकत है
तबो माई तोहरे दूध का करज
हम कभों न उतार सकित है
सुन आपन माटी क आवाज
सुखिया सकते में आ गयी
अरे तू त लाछामन्वा ही हवे
कहते सुखिया गदगद हो गयी
पर यहाँ तो सब तोहके
डॉक्टर एल के सिंह कहत है
पर तू त लाछामन्वा ही है
बाबा इ कैसी विपत है
सुखिया की देख निश्छल सोच और हंसी
डॉक्टर बाबू ने सुखिया की गोद में
अपना सर रख दिया
सुखिया ने भी तुरंत अपने आंचल से
उनका मुख ढक दिया
आंचल के दूसरे कोने से मुंह ढाप
सुखिया रो पड़ी थी
दूध के कर्ज को सुखिया
आज बडे मार्मिक ढंग से
समझ रही थी
जिनसे थी अपेक्षा
उन्होंने तो मुंह फेर लिया था
पर आज दूघ के रिश्ते ने
अपने को रक्त के रिश्ते से
बेहतर साबित कर दिया था
पूरे वार्ड में पसरा सन्नाटा
बन गवाह इस बात की
सच्चाई बड़ी सिद्दत से
बयां कर रहा था
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