ननकू काफी देर से
सब्जी की दुकान पर
एक कोने में खड़ा
मुझे लगा कि
कुछ खास खरीदने की हिम्मत
जूटा रहा था
मै भी नित्य की भांति
राजू की दुकान पर
सब्जी के लिए खड़ा था
भीड़ कुछ कम होने पर
ननकू ने धीरे से पूछा
भैया ई गोभी कितने का
दुकानदार ने उसकी ओर
हिकारत से देखा
फिर बोल चालीस का
और ई नया आलू
तीस का
ठिठक कर ननकू ने पूछा टमाटर
साठ का
पुनः हिम्मत जूटा कर
प्याज का भाव पूछा
भय्वास अपेक्षित उत्तर की
प्रतीक्षा किया बिना
लौकी पर लौट आया
दुकानदार ने जब उसे भी
तीस का बताया
ननकू का तो जैसे
गला ही रूद्ध आया
राजू बोल का यार
बहुत दिनन बाद सब्जी
खरीदे निकलल हौआ का
नाही भैया
आज बिटियवा का जन्मदिन रहा
ऊ बिनहिये से गोभी अउर
नया आलू के सब्जी के साथ
पूड़ी खाये का जिद्द कियस बा
इधर कई दिनन से
कम धंधा भी ठीक से
नहीं चालत बा
यही पीछे पूरान आलू के झोल से
कम चलत रहा
पिछले महिनवे त
सट्टी से इकट्ठे कीन के लावा रहा
आज बड़े अरमान से
एक पचास का नोट ले
बाज़ार आवा रहा
मन मा कुछ नया अउर
बढ़िया खाये का भावा
परअफ़सोस उसकी कीमत
तो पाँच रूपया पावा
अपनी बिटिया के हम
हम कितना सब्जबाग दिखावा है
पर अपनी हाड़तोड़ म्हणत की कमाई
ऊपर से ई महगाई से
अपनी कमर तो टूटी पावा है
अपनी बिटिया कै
एक इतनी छोटी सी इच्छा
भी पूरी नहीं कर पावा है
अपने जीवन का हम
व्यर्थ पावा है
निर्मेष
निर्मेष
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